प्रेम / ममता व्यास
1.
चुपके से आता है प्रेम...कैंसर की तरह
एक छोटी सी गाँठ से शुरू होकर
धीरे-धीरे फैल जाता है पूरी देह में
फिर हर कीमोथेरेपी पर एक आस ऐसी उठती है
जैसे डाकिया कोई खत लाया हो
2.
मेरी देह में प्रेम ऐसे ही बहता है
जैसे हरे पेड़ में क्लोरोफिल
और तुम्हारी देह में निकोटिन
3.
चेतावनी के बावजूद
सिगरेट नहीं छूटती...
बिना चेतावनी,
बिन हानि के प्रेम छूट जाता है...
4.
जब व्यस्त थे तुम
प्रेम ग्रंथ लिखने में
तुम्हारे दरवाजों पर
बार-बार दस्तक दे रहा था प्रेम
तुम शब्द-शब्द लिख रहे थे
और वह सांस-सांस सिसकता था
दहलीजों पे।
5.
प्रेमग्रंथ एक दिन पुरस्कार पाते हैं
और फिर दीमक उन्हें बुरादा कर देती है।
प्रेम कोई पुरस्कार नहीं पाता
उस पर दीमक घर बनाती है और
वो बाँबी के भीतर भी सांस लेता है।