Last modified on 8 अगस्त 2014, at 12:39

सांस्कृति घुमसाही / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:39, 8 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

के कहैछ नीरो थिक व्यक्ति वाचक संज्ञा टा,
रहल होयत कहियो, जे रोमक सम्राट छल।
किन्तु अपन देश, एहि प्रजातन्त्र देश लेल
नीरो मानसिकता थिक, भाववाचक संज्ञाथिक।
सत्तरि करोड़ मध्य -
नहि सत्तरि लाख अथवा सत्तरि हजार
तदपि सत्तरिसय कमसँ कम लोक तँ अवश्य अछि
जकर रोम-रोम आइ नीरोमय भेल छैक।
दिल्ली, कलकत्ता ओ बम्बइ, मद्रास
तथा पटना ओ लखनउ सन राज्यसभक
छैक जते बनल राजधानी सब
ततय ततय मुग्ध मनेँ बंशी बजबैत अछि।
मदिराक प्यालीमे नाककेँ डुबौने
आ मुर्गीक सिद्ध टाङ दाँतसँ तिरैत अछि।
विषुवत रेखा समान अपना समाज मध्य
गरीबीक रेखाकेँ अंकित करबाक हेतु
आर्केस्ट्रा पार्टीमे तकने फिरैत अछि।
मैक मोहन रेखा जेना चीनकेँ अमान्य छैक
तहिना दरिद्रकेँ ई रेखा मान्य नहि।
अङरेजक राज्यमे दरिद्रा लक्ष्मीक जेठि
बहिन बनलि गाम-गाम नाचन फिरैत छलि,
आब तँ विवेक, बुद्धि विद्या आ नैतिकता
सबकेँ पछाड़ि, मत्त नचिते नहि, गबितो अछि।
सैह नृत्य-गीत आइ संस्कृति संज्ञा धराय
पछिले दिन दिल्लीमे घुमसाही कयलक अछि।