Last modified on 8 अगस्त 2014, at 12:50

बुद्धिमत्ता / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:50, 8 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कटहरमे लस्सा तँ प्रकृतिकेर देन थिकै,
बिनु लस्साकेर कतहु कटहर भेलैक अछि?
ऊपरसँ काँटोकाँट,
भीतरमे छहोछित्त,
कमरीकेँ ओढ़ने
आ आँठीकेँ गिड़ने को
नेढ़ाकेँ पँजिया कऽ धयने रहैत अछि।
राजनीतिकेर असल
रूपथिकै यैह कि ने?
कटहर खयबाक होअय
इच्छा जँ मनमे तँ
लस्सा लगबाक डऽर
मनसँ भगाय लियऽ।
मोंछमे न लागय,
ने लोकमे देखार होइ,
पहिने रहि सावधान
कडूतेल औँसि लैछ
बुद्धिमान जुगता कऽ हाथ तथा मोंछमे।
किन्तु तदपि
कटहर जे गमगम करैत छैक
ताहिसँ तँ आभास
कनेमने होइते छै,
तकर छै उपायो नहि।