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प्रलोभन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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आः अतूः आः आः
जनता भिन्ने तवाह,
नेता अपने अवाह,
आः अतूः आः आः
कौरा नहि हाथ, तखन
व्यौरा लऽ करते की,
फेकि देल पाते पर
लड़ि-कटिकऽ मरते की?
बुढ़िया विषपिपड़ी
आ छौंड़ा तड़ङाह,
आः अतूः आः आः