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उगत कोना चान / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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एक भाग शिशिरक ई बरसि रहल ठार,
दोसर दिस रति भरल घोर अन्धकार,
सत्यकेर सूर्य डूबि गेल क्षितिज पर,
मुँहदुस्से सभहिक अछि सबतरि संचार
कृष्ण पक्ष थीक तखन उगत कोना चान
कखन होयत प्रात तकर कहत के ठेकान।