भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धन पद / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:00, 12 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
साईं रखियो नियम यह धन पदवी को पाय।
रक्षा करियो दीन की हरि भजियो मन लाय।।
हरि भजियो मन लाय दान से हाथ न मुड़ियो।
करियो सेवा मातु पितु परिजन रंक न छुड़ियो।।
रहमान स्वर्ग सापान यहि सद्ग्रंथन बतलाई।
नहीं घटे धन धन धर्म पद रहै नियम यह साईं।।