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व्यावहारिक परिचय 2 / मुंशी रहमान खान

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जाति जाति कहि कट मरें ईश्‍वर घर नहिं जाति।
जप तप संयम भक्ति बिनु काम न आवै जाति।। 1

नहिं घमंड कर जाति पर ईश्‍वर है बे जाति।
नीच ऊँच करतब करै यही शास्‍त्र विख्‍याति।। 2

नहिं पुछिहै कोई जाति वहं करतब पूछे जाँय।
हिंदू मुस्लिम और जन करनी का फल पाँय।। 3

द्यूत मांस मद्य झूठ छल ग्रंथ न कहे निकृष्‍ठ।
तिनको हम सब करत हैं बनकर बड़े प्रतिष्‍ठ।। 4

दोष देहिं कलिकाल को आपन दोष न लेहिं।
डारें पावक बीच कर दोष अगिन को देहिं।। 5

नहिं देखै कलिकाल कोइ तुम्‍हें लखै संसार।
फिर किमि खोवहु धरम दोउ जहाँ तोर निस्‍तार। 6

यौवन धन बल श्रेष्‍ठता नहिं पुछि है भगवान।
पुछिहै वह सब जानता कहि हौ कौन बयान।। 7

धर्म विरुद्ध नहिं कर्म कर चल ग्रंथन अनुसार।
पालन कर ईश्‍वर बचन नहिं हुइहो गिरफ्तार।। 8

नहीं ईश डर लाज कछु नहीं धरम की चाह।
ऐसे नर बिनु पूँछ के बंदर बंदर नाह।। 9

गाना कौतुम द्यूत नृत करें मांस मद्य पानं
धर्म ग्रंथ इन‍के लिए पूरे दुश्‍मन जान।। 10

होवें वक्‍ता भागवत नित उठ पढ़े कुरान।
करें कर्म जो यहं लिखे वे पूरे बेइमान।। 11

नहिं करियो बेहमान संग जाय तोर ईमान।
ईमान रहै भगवान है मान सीख रहमान।। 12