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राघव सरकार / कालीकान्त झा ‘बूच’
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सुनिऔ औ राघव सरकार केहेन कऽ देलिऐ उपकार
गमकल चरण कमल रज सँ हम्मर सऽड़ल जिनगी...
दुलकल दुलकल राजभवन सँ अयलहुँ आश्रम हुलसल मन सँ,
अकारण देखि ऐहेन उपकार चकित भऽ रहल सकल संसार..
गमकल...
लुटा गेल सर्वस्व हमर छल के सुधि लितय मजाल ककर छल,
अपने दया सिन्धु अवतार कयलहुँ बरका चमत्कार ...
गमकल...
मानव की कीट पतंग चरि हमरा त्यागि पड़ायल हे हरि,
हरलहुँ भारी पापक भार कयलहुँ डूबल नैया पार
गमकल...
चरण बढ़ाउ कृपालु खड़ाडी नेह नोर सँ लाउ पखारी,
पोछि आँचर सँ बांटवार करब हम तरवे केॅ श्रृंगार
गमकल...