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सिल्ला१ और चिल्ला२ गाँव / लीलाधर जगूड़ी

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हम सिल्‍ला और चिल्‍ला गाँव के रहनेवाले हैं
कुछ काम हम करते हैं कुछ करते हैं पहाड़

उत्तर और दक्षिण के पहाड़ हमें बाहर देखने नहीं देते
वह चील हमसे ज्‍यादा जानकार है जो इन पहाड़ों के पार से
हमारी घाटी में आती है

पूरब का पहाड़ सूरज को उगने नहीं देता
पश्चिम का पहाड़ तीन बजे ही शाम कर देता है

दोपहर को सूर्योदय होता है सिल्‍ला गाँव में
सिल्‍ला गाँव में थोड़ा-थोड़ा सब कुछ होता है
बहुत ज्‍यादा कुछ नहीं होता

सिल्‍ला गाँव की बेटियाँ चिल्‍ला गाँव ब्‍याही हैं
चिल्‍ला गाँव के भी बहुतों की ससुराल है
सिल्‍ला गाँव में

पूरब पहाड़ के पश्चिम ढाल पर बसा है सिल्‍ला गाँव
इस ठंढ़े ठिठुरे गाँव में भी होते हैं रगड़े झगड़े
होती है गरमा गरमी

झगड़ा होता था एक दिन दो भाइयों में
बड़े ने कहा छोटे से कि कल सबेरे मुझे दिखना मत

(सबेरे-सबेरे याने दोपहर बारह बजे कल सुबह)
किसी एक को एक दूसरे को उनमें से दिखना नहीं है
सिल्‍ला गाँव में
वरना बाकी का झगड़ा कल दोपहर में होगा सुबह-सुबह

सामने एक दूसरा गाँव है चिल्‍ला गाँव
यह पश्चिम पहाड़ के पूरब ढाल पर बसा है
चिल्‍ला गाँव में आता है सबसे पहले घाम
सबसे पहले वहाँ लोग उठकर सिल्‍ला गाँव वालों को
गाली देते हैं अभी तक सोये हुए होने के लिए
आवाज देते हैं कि सूरज चार पगहा चढ़ चुका है
सिल्‍ला गाँव के कुंभकरणों जाग जाओ

पहाड़ की छाया के अँधेरे में
सिल्‍ला की औरतें सुनती हैं चिल्‍लावालों की गुण-गुणाहट
लगभग बारह बजे आ पाता है
सिल्‍ला गाँव चिल्‍ला गाँव के बराबर
तब सिल्‍ला से एक बहन आवाज देती है

चिल्‍लावाली बहन को कि तू मायके कब आयेगी
चिल्‍ला गाँव का सूरज तीन बजे डूब जाता है
सिल्‍ला गाँव में पाँच छह बजे तक धूप रहती है
चिल्‍ला में लोग तीन बजे से घरों में घुसना शुरू कर देते हैं
चूल्‍हे जलाना शुरू कर देते हैं शाम के

सिल्‍ला और चिल्‍ला गाँव आमने सामने हैं
जब सिल्‍ला गाँव में रात पड़नी शुरू होती है तब चिल्‍ला के लोग
खाना खा चुके होते हैं
जब सिल्‍लावाले रात का खाना खाते हैं
तब चिल्‍लावाले सो चुके होते हैं

लेकिन पहाड़ों को और सूरज को वे
अलग-अलग तरह से देखते हैं

सिल्‍ला गाँव की सुबह और चिल्‍ला गाँव की शाम
दो भाइयों की तरह लड़ती हैं आपस में
दो बहनों की तरह दूर से देखती हैं एक-दूसरे को

१. ठंडा
२. गरम