Last modified on 10 सितम्बर 2014, at 19:19

कमरी थोरे दाम की / गिरिधर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:19, 10 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिधर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKundaliyan}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कमरी थोरे दाम की, बहुतै आवै काम।
खासा मलमल वाफ्ता, उनकर राखै मान॥

उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।
बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै॥

कह 'गिरिधर कविराय', मिलत है थोरे दमरी।
सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी॥