व्रत एकान्त / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
लुटकुन जी केर चकचक भाल
कपोल सिनुरिया बनल रसाल
टीशन चलला लऽ चकचक कार
आबि रहल थिन्ह सासु आ सार
छहछह तन मन भरल उमंग
गृह घुरलनि विधि माताक संग
झटपट शांभवि चाह बनाउ
पहिने रूहे- आफजा लाउ
मम्मी छथि बड़ जोर पिआसलि
भुक्खे समस्तीपुर सँ मैसूर आयलि
जलखै सेवै संग दलिपूड़ी क बोर
मझिनी भुजल परोर आ इचना झोर
जुनि करू अकरहरि श्रवण जमाय
अहँक सासु तऽ हमरो माय
माय हमर आडम्वरि धर्मी
सनातन पालिका संग षट्कर्मी
मतिसुन्न लक्ष्मीनाथ बजार गेलनि
फुलल परोर माँछ इचना लेलनि
देखिते भऽरल माँछक झोरा
फुजलनि सासु बन्न मुॅह बोरा
पाहुन देलथिन धऽर घिनाय
कोना करव हम नहाय खाय ?
काल्हि हमर छी व्रत एकान्त
मछैन गृह केर सगरो प्रान्त
फेकू माँछ सटल तरकारी
गंगाजल सँ धोयब आंगन वारी
गैस चढ़ल अन्न नहि खायब
बौआ सँ अंगूर सेव मंगायव
काल्हुक लेल चाही आमक चेरा
माटिक चूल्हि आ बांस चंगेरा
सिंगापुरी नहि चिनियॉ केरा
शुद्ध सुधा गुड़ सानल पेरा
शांभवि ई मैसूर नहि गाम
कतऽ हम ताकू जाड़नि आम ?
विकट भेल रवि व्रत एकान्त
एहि चक्कर हमर जीवन अशान्त
लुटकुन माथ मे शोणित अटकल
भाय -बहिन मुॅह मुस्की फटकल
हम की करब सभ दोष अहाँ केॅ
पावनि मास किएक बजौलहुँ माँ के ?
ताकय चललनि कर्नाटक केर गाम
ल' हाथ चूल्हि माँथ गठरी आम
सोझे आबि खाट पर खसलनि
शांभवि जोर ठहक्का हँसलनि
सुनू प्रिये तारू सूखल अछि
जल बिनु हम्मर हिय विकल अछि
एहेन व्यथा नहि हँसि उड़ाउ
त्रास कंठगत नीर पिआउ