भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीर पहुंचे नहीं निशानों पर / सलमान अख़्तर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 18 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सलमान अख़्तर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तीर पहुंचे नहीं निशानों पर
ये भी इल्ज़ाम है कमानों पर

जिस ने लब सी लिए सदा के लिए
उसका चर्चा है सब ज़बानों पर

सर झुकाये खड़े हैं सारे पेड़
और फल सज गए दुकानों पर

सच की दौलत न हाथ आई कभी
उम्र कटती रही बहानों पर