Last modified on 30 सितम्बर 2014, at 22:24

समय के निशान / रश्मि रेखा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 30 सितम्बर 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक अर्से बाद जब
तुम्हारे अक्षरों से मुलाक़ात हुई
वे वैसे नहीं लगे
जैसे वे मेरे पास हैं
भविष्य के सपने देखते
मेरे अक्षर भी तो
रोशनी के अँधेरे से जूझ रहे हैं
अब तो ख़ुद से मिलना भी
अपने को बहुत दुखी करना है
यह सब जानते हुए भी
एक ख़त अपने दोस्त को लिखा
और उसे बहुत उदास कर दिया
पत्र पाने की खुशी के बावजूद
सचमुच समय चाहे
जितनी तेजी से नाप ले डगर
अमिट ही रह जाते हैं
उसके क़दमों के निशान