मान्यवर ज्योतिबा फुले करूं नतमस्तक / करतार सिंह कैत
मान्यवर ज्योतिबा फुले करूं नतमस्तक प्रणाम तनै
कई पुश्तों तक भूल्या जा ना इसा कर दिखलाया काम तनै...टेक
तेरे मात-पिता नै सच्चे मन तै करकै लगन पढ़ाया था
जब पढ़-लिख कै गुणवान बण्या कुछ जग मैं करणा चाह्या था
इस मनुवादी व्यवस्था नै चक्कर इसा चलाया था
बहू-बेटी ना पढ़ैं किसी की न्यूं अंधविश्वास फेलाया था
जो पढ़ लेगी वा विधवा होज्या न्यूं ना भया पैगाम तनै।
फेर कुछ दिन पाछै शादी होगी एक अनपढ़ बहू घरां आई
सुघड़ सलोणी नेक चलण की था नाम सावित्री बाई
वर्तमान अजवावण खातर वा तनै पढ़ाणी चाही
पढ़-लिख कै विद्वान होई उनै ऐसी करी पढ़ाई
वा पढ़ ली तू मर्या नहीं कर्या आगै का इंतजाम तनै।
शुद्ध बुद्धि और अच्छे मन तै ख्याल इसा फेर आया था
तेरा शोषित दलित समाज फेर यू शिक्षित करणा चाह्या था
दलित पढ़ाणे आगै ल्याणे तनै ऐसा बीड़ा ठाया था
तेरा सवर्णों नै बहिष्कार कर्या यू काम नहीं उनै भाया था
फेर तेरे मारण की धमकी दे दी न्यू पड्या छोड़णा गाम तनै।
गांव छोड़ कै चले गए ना मान्या हुकम अन्याई का
पढ़-लिखण के बारे म्हं मिल्या साथ सावित्री बाई का
फेर कॉलेज और स्कूल खोल कर्या धंधा शुरू पढ़ाई का
दलित पढ़ा दिये आगै ल्या दिये इसा करगे काम भलाई का
करतार सिंह छोटे से मूंह तै करै सौ-सौ बार सलाम तनै
कई पुश्तों तक भूल्या जा ना इसा कर दिखलाया काम तनै।