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किस्सा गोपीचंद - 4 / करतार सिंह कैत

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गोपीचंद घरां चाल, करै मत टाल मान ले मेरी
कदे मरज्या टक्कर मार बहोड़िया तेरी...टेक

तेरी मां तै गलती हुई माफ कर बेटा
ईब घरां जाण का ढंग आप कर बेटा
मत करिये इन्कार, मरूं सिर मार जान की ढेरी
कदे मरज्या...

मनै के बेरा था न्यू हो ज्यागी पल म्हं
मरणा पड़ग्या घाल कै फांसी गल म्हं
ना रह्या बदन म्हं जोश बिगड़ गये होश विपत न घेरी
कदे मरज्या...

तनै जोग दिवा कै जी नै रासा होग्या
सब काढैं मेरा खोट तमाश होग्या
मनै ठा ले नै मेरे राम, बिगड़ गये काम के जिन्दगी मेरी
कदे मरज्या...

गुरु भजन सिंह कहै झाल डटै ना डाटी
मेरी सुण-सुण ताने जा सै छाती पाटी
करतार सिंह छनद तोल, वक्त के बोल ना हेरा फेरी
कदे मरज्या...