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मेरी खातिर नुमायाँ कौन होगा / नज़ीर बनारसी

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मेरी खातिर नुमायाँ <ref>प्रकट</ref> कौन होगा
फसाना मैं हँू उनवाँ <ref>शीर्षक</ref> कौन होगा

सरे महफिल जबाँ खुलवाने वालो
जरा सोचो पशेमाँ <ref>शर्मिन्दा</ref> कौन होगा

अगर काँटा निकल जाये चमन से
तो फूलों का निगहबाँ <ref>रक्षक</ref> कौन होगा

मेरे बाद ऐ बताने-शहरे-काशी <ref>काशी शहर के बुतों</ref>
मुझ ऐसा अहले ईमाँ <ref>ईमान वाला</ref> कौन होगा

शिकस्ते अहदो पैमाँ <ref>वचनभंग</ref> जब हो शेवा <ref>पद्धति, ढ़ग</ref>
गवाहे अहदो पैमाँ <ref>वचनभंग का गवाह</ref> कौन होगा

करे है सजदा-ए-हक बुतकदे में
’नजीर’ ऐसा मुसलमाँ कौन होगा

शब्दार्थ
<references/>