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हमार राम / पढ़ीस

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अब आवउ गिरिधर स्याम-
मड़य्या के रखवार हमार राम।
संघति<ref>संगति, साथ</ref> का करउ निबाहु-
मड़य्या के रखवार हमार राम।

बूड़ा की नद्दी मा छिनु-छिनु
बाँसन पानी बाढ़;
तिनुका-तिनुका बहि जाई, का-
का, तुम रहिहउ ठाढ़?
मड़य्या के रखवार हमार राम।
तीखि धार ते कटयिं कगारा,
धरती धँसयि पतालु।
लखि-लखि बिधिना<ref>विधना, रचइता</ref> की हम लीला
रोयी हाल ब्याहाल।
मड़य्या के रखवार हमार राम।
मूसरधार<ref>मूसलाधार</ref> साँझ ते बरसयि
तिहि पर बज्जुरू फाट।
आधी का टिप्पा ह्वयि आवा
हाँक न पहुँचयि हाट ?
मड़य्या के रखवार हमार राम।
सूसी <ref>गहरे जल में पाया जाने वाला जीव-सुइस</ref> घसियारन<ref>घरियारन, गहरे जल में पाया जाने वाला जीव-घड़ियाल</ref> की भीरयि
मगरमच्छ उतरायिं,-
काटयि दउरिय, लीलि लेयिं,
मुँहु बायि-बायि रहि जायिं,
मड़य्या के रखवार हमार राम।
फूलि-फरी खरबूजा बारी,
सयिति <ref>समेटना, शायद, कदाचित</ref> लिहिसि सइलाबु;
का मुँहु लयि-कयि घरका जाबयि
किहिते का बतलाबु;
मड़य्या के रखवार हमार राम।
सुन्यन रहयि तुम बड़े सूरमा
दउरउ गऊ ग्वहारि ?
तउ हम जानी तयिसयि तुम हउ,
जो आवउ यी ब्यार <ref>बारी, समय, वक्त</ref>।
मड़य्या के रखवार हमार राम।

शब्दार्थ
<references/>