भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेत‍उनी / पढ़ीस

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:13, 7 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पढ़ीस |संग्रह=चकल्लस / पढ़ीस }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छाँड़ि - छाड़ि अगर -मगर
चलउ भाई डगर-डगर!
जोती भइ मलीनि तउनि
जागि उठयि जगर - मगर।
चलउ भाई डगर-डगर!
लरिका चिल्लायि चले,
बिटिया बिल्लायि उठी;
रॉह भइ कुरॉह तिहिते
पाउॅ परयिं लहर - बहर।
बरन बने चारि मुलउ <ref>किन्तु</ref>
जाति दददू! याकयि <ref>एक ही</ref> आयि?
छुआ - छुति छोपि, बूड़े
जाउ कोह हपर -हपर<ref>हाफने की प्रक्रिया, दु्रतगति से साँस लेने की क्रिया</ref>
चलउ भाई डगर-डगर!
जिहि मा सुख होयि, तउनि
रॉह चलउ नीकि नीकि।
कोई करयि चहयि तउनु,
तुम न करउ सगर-बगर<ref>किंकर्तव्यमूढ़ता, निश्चयहीनता</ref>।
चलउ भाई डगर-डगर!
आपुस <ref>आपस, एक दूसरे के साथ</ref> की फूट अयिसि
बढ़ी हयि कि रामु हरे।
लड़उ रोजु - रोजु, मरउ
भूँखन कयि हकर - हकर <ref>थक कर श्लथ<ref>चूर</ref> हो जाना</ref>।
चलउ भाई डगर-डगर!
मुसलमान, हिन्दू अउ,
किरिहटान<ref>क्रिश्च्यन, ईसाई, क्रिस्टान</ref> सबु कोई
हिलि - मिलि कयि चलउ,
नाहीं धरे रहउ सटर - पटर<ref>हतप्रभ होना</ref>।
चलउ भाई डगर-डगर!
तुम बड़े पढ़ीस हउ त
खुबयि खूब पढ़ि, सवाचउ<ref>सोचना</ref>
धरमु चिल्लाति हयि तुम
देखि रह्यउ भटर-भटर<ref>अनिमेष, आँखे फाड़ कर देखना</ref>।
चलउ भाई डगर-डगर!

शब्दार्थ
<references/>