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आया बसन्त आया ! / कांतिमोहन 'सोज़'

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आया बसन्त आया !
बिरहा का अन्त आया !

अम्बुआ पे बोले कोयल
पाँवों में बाजे पायल
पंचम हुआ है पाग़ल
सुख दस दिगन्त छाया !
आया बसन्त आया !
बिरहा का अन्त आया ।।

फूली हुई है बगिया
उमड़ी हुई है नदिया
बौरा गई है रधिया
अँगना में कन्त आया !
आया बसन्त आया !
बिरहा का अन्त आया ।।

मन प्रेम में पगा है
अरमान फिर जगा है
एक बार फिर लगा है
यौवन अनन्त आया !
आया बसन्त आया !
बिरहा का अन्त आया ।।