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बंसी ऐसी तो न बजा ! / कांतिमोहन 'सोज़'

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बंसी ऐसी तो न बजा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !!

तान सुनत मैं होश गँवाऊँ
लोग हँसें मैं समझ न पाऊँ
चतुरन से नादान कहाऊँ
ऐसा दिन न दिखा
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !!
बंसी ऐसी तो न बजा ।।

धुन मीठी मन को झकझोरे
सुर से पकड़ बुलाए धोरे
कान्हा तोरे करूँ निहोरे
और न मोहे नचा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !
बंसी ऐसी तो न बजा ।।

बिन कारन मोरी सुध बिसराई
सारी उमर मोहे निन्दिया न आई
अब तो आ जा ओ हरजाई
मन की तपन मिटा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता ।
बंसी ऐसी तो न बजा ।।