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राधे! कृपा-कोर करि कहिये / स्वामी सनातनदेव

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राग श्याम-कल्याण, तीन ताल 19.9.1974

राधे! कृपा-कोर करि कहिये।
तुम मेरी अनपायिनि स्वामिनि, सदा दाहिनी रहिये॥
बाढ़े तव रति-मति अति जासों, कौन गैल अस गहिये।
तुव पद-रति बिनु चहों न हौं कछु, सो रति कैसे पइये॥1॥
मेरे मन की बात न कहि अपन ही मन की कहिये।
मैं अबोध निज हित का जानों, जासों तुव पद पइये॥2॥
आय परी हों सदन तिहारे, अपनी करि अपनइये।
अड़ी घड़ी आ पड़ी स्वामिनी! साँचो पन्थ लखइये॥3॥