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संघर्षों के अतल थाह में / राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल

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संघर्षों के
अतल थाह में
तप्त निरंतर
युग प्रदाह में
चुनौतियों का
आलिंगन
शाश्वत चरैवेति
जीवन नश्वर
पराकाष्ठा पर
तम का घेरा
ज्योति पर्व का
वहीं सबेरा
माटी की
सार्थकता अभिमंत्रित
स्नेह दीप हो
अग जग वंदित
श्रद्धा और प्रेम का निर्झर
स्वीकारे शुभकामना
अंजुलि भर भर।