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बड़े घरन के छोरा नईंयाँ / महेश कटारे सुगम
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बड़े घरन के छोरा नईंयाँ
हम रेशम के डोरा नईंयाँ
इज़्ज़त सें हम जीवौ सीखे
टुकड़खोर हथजोरा नईंयाँ
हम चाहत सब सुख सें रैवें
तुम जैसे घरफोरा नईंयाँ
दुनिया की दौलत मिल जावै
ऐसे सोई अघोरा नईंयाँ
गुनन भरे झोला हैं हम तौ
सड़े भुसा के बोरा नईंयाँ
साँची सुगम कैत है मौ पै
मिठबोला मौजोरा नईंयाँ