Last modified on 24 दिसम्बर 2014, at 15:37

बाड़ी मोरी अबही उमरिया / भोजपुरी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:37, 24 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=भोजपुरी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाड़ी मोरी अबही उमरिया
आ विधाता दिनवा धई दिहलें ऐ राम...
सजना सेयान हम नदान,
त कइसे के गवनमां जाइब ऐ राम
बाबा मोरा अइसन निरमोहिया
न मन में विचरवा कइले ऐ राम
माई मोरा हिया के कठोर
त घरवा से निकाली दिहली ऐ राम
नइहर में कुछउ न सिखलीं
पिया के घर का करब ऐ राम
कुसुम रंग पेन्हली चुनरिया
त लाल रंग चादर मिलल ऐ राम...
डोलिया में हमके बिठाई के
कहार चार लागी गइले ऐ राम
सुसुकि-सुसुकि माई रोवेली
त सखी फुका फारी रोवे ऐ राम
धनी अब भइली ससुरइतीन
लउटी फिर न आइब ऐ राम
दास ऐ कबीर, निर्गुण गावेलन
गाके समझावेले ऐ राम...