भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बताओ ख़ुदा / अरविन्द कुमार खेड़े
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:09, 26 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द कुमार खेड़े |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)
एक भयानक दुःस्वप्न
नींद उचट जाती है एकाएक
धड़कनें हो जाती है तेज
पसीने से हो जाता हूँ लथ-पथ
उससे ज्यादा भयावह
मंजर को देख
लगभग
अनदेखा करते हुए
नाप लेता हूँ अपना रास्ता
या ख़ुदा
बताओ तो सही
स्वप्न में कौन जिया
मेरे अंदर
जागृति में
कौन मरा मुझमें
बताओ ख़ुदा.