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जड़ों की ओर / अरविन्द कुमार खेड़े
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कुछ स्मृतियां
हरदम साथ रहती हैं
कुछ छूट गयी हैं पीछे
जिन्हें मैं
भेजता रहता हूँ
हर रोज सन्देश
जिस दिन
कह दिया जिंदगी ने
लौट पड़ूँगा
अपनी जड़ों की ओर