भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जी हो आज म्हारो पटसाळ सूनो लगऽ / निमाड़ी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:59, 21 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
जी हो आज म्हारो पटसाळ सूनो लगऽ
नहीं आया म्हारा दशरथ बाप,
हरकत पगरण आरंभियो।
जी हो आज म्हारो पाळणो सूनो लगऽ
नहीं आई म्हारी कौशल्या माय,
हरकत पगरण आरम्भियो।
जो हो आज म्हारो मण्डप सूनो लगऽ
नहीं आया म्हारा राम-लछमण बीरा,
हरकत पगरण आरम्भियो।
जी हो आज म्हारी आरती सूनी लगऽ
नहीं आई म्हारी सुभद्रा बेण,
हरकत पगरण आरम्भियो।