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रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़ / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़
माता ताड़ को झाड़, वहाँ रहे देवी को रहेवास।
माता आड़ी रूळतो घागरो, न कड़ी रूळता केश,
माता गोदी लियो बाजुड़ो, न पेळो पेरी जाय।