Last modified on 21 जनवरी 2015, at 19:47

नाना म्हारा का ठुमक्या पांय / निमाड़ी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:47, 21 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नाना म्हारा का ठुमक्या पांय,
ठुमुक ठुमुक भाई वाड़ी मऽ जाऽय।
वाड़ी मऽ का वनफल तोड़ तोड़ खाय,
एतरा मंऽ आई गई मालेण मांय।
मालेण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल,
रड़ऽ कुढ़ऽ रे म्हारो नानो भाई।
रस्ता मऽ मिली गई भूआ मांय,
क्यों रड़ऽ रे म्हारा नारा भाई।
नाना भाई नऽ तोड़ी लिया कमल का फूल,
मालेंण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल।
लऽ वो, मालण मांय, थारा कमल का फूल,
दऽ म्हारा नाना का झगा नऽ झूल।