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छाँह छोड़ कर चल दूंगा मैं / केदारनाथ अग्रवाल
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छाँह छोड़ कर चल दूंगा मैं
लेकिन जाते-जाते, पहले,
तुम्हें फूल-फल दे ही दूंगा
मैं तरु हूँ-- धरती का बेटा ।