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प्रभु तोरी महिमा परम अपारा / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रभु तोरी महिमा परम अपारा
जाको मिले न कोऊ पारा।।
सबरे जगत खों आप रचावें
सबके हो तुम पालन हारा।
प्रभु तोरी महिमा...।
कैसो सूरज गरम बनायो
कैसो शीतल चांद उजारा।
प्रभु तोरी महिमा...।
जुदा-जुदा नभ के तो ऊपर
चमकत कैसे हैं धु्रवतारा।
प्रभु तोरी महिमा...।
उन प्रभु खों तुम भज लो प्यारे
कर लो अपनो बेड़ा पार।
प्रभु तोरी महिमा...।