गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 28 फ़रवरी 2008, at 09:16
हे मेरी तुम सोई सरिता ! / केदारनाथ अग्रवाल
Pratishtha
(
चर्चा
|
योगदान
)
द्वारा परिवर्तित 09:16, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण
(
अंतर
)
← पुराना अवतरण
|
वर्तमान अवतरण
(
अंतर
) |
नया अवतरण →
(
अंतर
)
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
हे मेरी तुम सोई सरिता !
उठो,
और लहरों-सी नाचो
तब तक, जब तक
आलिंगन में नहीं बाँध लूँ
और चूम लूँ
तुमको !
मैं मिलने आया बादल हूँ !!