♦ रचनाकार: अज्ञात
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मैया के भुवन में हरे चंदन बिरछा
लंगुरा डार कटाय हो मां
हँस-हँस पूंछे देवी जालपा काहे की
खातिर कटाये हो मां।
मैया खों तो कइये मां चदन पलकियां
मड़खों बजर किवार हो मां। मैया...
उठा पलंगवा बीरा लंगुरवा
डारे बढ़ई की दुकान हो मां। मैया...
बढ़ई तो कइये चतुर सुजार
जो रुचि-रुचि पलंग बनाये हो मां। मैया...