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अनबोले रहो न जा ननद बाई / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अनबोले रहो न जाए ननद बाई,
बीरन तुम्हारे अनबोला।
अरे हां रे ननद बाई,
कैसे के बीरन तोरे बोलिहैं,
अरे कैसे जतन करो आज ननद बाई।
अरे हां रे भौजइया,
गैया दुहाऊं जब तुम जैहों,
उते बछरा खों दियो छोड़ हो भौजी...
बीरन हमारे तबई बोलें
अनबोले रहो न जाए...