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हरे रामा आज बृज मे श्याम / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हरे रामा आज बृज में श्याम,
बने मनिहारी रे हारी।
वृन्दावन की कंुज गलिन में
टेरत कृष्ण मुरारी रामा,
हरे रामा है कोई बृज में
चुड़ियां पहरन वारी रे हारी।
खोल किवाड़ राधिका निकरी,
चुड़ियां वारी रामा,
हरे रामा वो पहराव पिया को
जो लगे प्यारी रे हारी।।
हाथ पकड़ पहरावन लागे,
लाल हरीरी पीली रामा,
हरे रामा मोहन निरखत जात,
ये राधा भोली भाली रे हारी।
हरे रामा...