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सेर का सो गया हलवाई रे / मालवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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सेर का सो गया हलवाई रे
नगर का सो गया हलवाई
अब मैं लाचार कलाकंद लाया हूँ गोरी
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोजी
म्हारा अनवट रतन जड़ाव