Last modified on 30 जनवरी 2015, at 18:56

सेर का सो गया हलवाई रे / मालवी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 30 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सेर का सो गया हलवाई रे
नगर का सो गया हलवाई
अब मैं लाचार कलाकंद लाया हूँ गोरी
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोजी
म्हारा अनवट रतन जड़ाव