भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपस क झगड़ा / विनय राय ‘बबुरंग’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:27, 1 फ़रवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय राय ‘बबुरंग’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आपस क झगड़ा
अपने में फरिया लेईं
नाहीं त
धरब जब कचहरी के दुआर
ओहिजा भरल बानऽ
एक-एक ले गिद्ध
एक-एक ले हुड़ारा
तोहार जिनिगी क कमाई
साल भर में खा डाली
छोट झगड़ा बोड़ कइ के
मउवत में बदल डाली।।