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आपस क झगड़ा / विनय राय ‘बबुरंग’

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आपस क झगड़ा
अपने में फरिया लेईं
नाहीं त
धरब जब कचहरी के दुआर
ओहिजा भरल बानऽ
एक-एक ले गिद्ध
एक-एक ले हुड़ारा
तोहार जिनिगी क कमाई
साल भर में खा डाली
छोट झगड़ा बोड़ कइ के
मउवत में बदल डाली।।