भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भउजी कहली / विनय राय ‘बबुरंग’

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 1 फ़रवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय राय ‘बबुरंग’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भउजी कहली
कि
ए बबुआ
गरहन लागल बा
एमे खाइल ना जाला
हमहूं जवाब देहलीं-
अपना सास-ससुर से
झगड़ के
अपना मरद क कपारे
चढ़ के
बार-बार कोहना के
नइहर में
बिना पूछले
जाइल ना जाला।