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गंगाजी क बाढ़ / विनय राय ‘बबुरंग’

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अइसन ई पास आइल, सावन मासे आफत आइल।
नाहीं गवलें कजरी बसावन ए भाई जी।।

धानवां त बहि गइले, रहरिया गलि गइले
गंगाजी में उठल अस उफान ए भाई जी।।

भइले समुन्दर जसऽ सगरो सिवनवां हो
देइब कइसे खेत क लगान ए भाई जी।।

घुसरल पलनियां में गंगाजी क पनिया हो
बहि गइले कुल्हिी अरमान ए भाई जी।।

ओहरत क नइया आइल टोपी वाला भइया आइल।
कगजे पर उठल अस मकान ए भाई जी।।

लेले बानी सरन आजु दूसरे क डिहवा पर
देखीं कहिया उठी छपर-छान ए भाई जी।।

जरला पर नून अस रासन बंटाइल हमे
करेलन सुन्दर केतना कल्यान ए भाई जी।।

रउवे बताईं कइसे जिनिगी जियल जाई।
बिना भोजन बाची नाहीं जान ए भाई जी।।