भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिलदारनगर / विनय राय ‘बबुरंग’

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:30, 2 फ़रवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय राय ‘बबुरंग’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल से दिल मिलावे हरदम ई दिलदारनगर
फहरावो सान्ति के परचम ई दिलदारनगर
अलगू जुम्मन में तनिको ना खार होला भाई
हिल-मिल बइठ के गावे सरगम ई दिलदारनगर।।

पसुवन क मेला लगवावे ई दिलदारनगर
रोगिन के रोग दूर भगावे ई दिलदारनगर
रोज पुजाली जै जै होला जै हो सायर माई
दमयन्ती क पोखरा देखावे ई दिलदारनगर।।

रूपा अइसन रूप देखावे ई दिलदारनगर
नहर से गेंहू धान उपजावे ई दिलदारनगर
इहां डाखाना थाना कालेज एक से एक एजेन्सी
कविसम्मेलन मुसायरा करावे ई दिलदारनगर।।

रेलवे टिसन जकसन कहलावे ई दिलदारनगर
हर तीरथ हर सहर पहुँचावे ई दिलदारनगर
केहू राही भूख मिटावे खा के बाटी चोखा
छोटहन कसबा पानी बचावे ई दिलदारनगर।।

दूर संचार से बात करावे ई दिलदारनगर
समय से बिजुली आवे जाये ई दिलदारनगर
बीच सड़क पर पागल होके घूमें कुछ दीवाना
हर जिनिगी क गुजर करावे ई दिलदारनगर।।

रंगबाजन के सबक सिखावे ई दिलदारनगर
तरह-तरह व्यापार करावे ई दिलदारनगर
हर धर्म के लोग पुजरारी करावे ई दिलदारनगर
एक दूजे से हाथ मिलावे ई दिलदारनगर।।