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बिरह गीत / विनय राय ‘बबुरंग’

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खून से रंगाइल अस धरतिया कि
कइसे हम मनाइब खुसिया हो राम।।

कहवां से आवे उगरबदिया कि,
बम से उड़ावे अदमियां हो राम।।

केतने उजरल सुहगवा कि,
बहिनी भइली केतने दुखिया हो राम।।

सगरो बिछौले बाटे जलिया कि,
रहि-रहि के कांपे छतिया हो राम।।

कहवां उड़ाई ई जिनिगिया कि,
लउकी नाहीं केहू परनियां हो राम।।

एही से तबाह सारी दुनियां कि,
रोई-रोई लिखे कलमियां हो राम।।

मलकिन क इहे बा बचनियां कि,
नाहीं हम पहिरवो नथुनियां हो राम।।

हाथ जोड़ि इहे बा अरजिया कि,
फिर से न आवे गुलमियां हो राम।।

चलऽ भइया चलऽ अस डहरिया कि,
लेई आवऽ समयुग समइया हो राम।।