सीमवां पर लड़े बदे / विनय राय ‘बबुरंग’
सिमवां पर लड़े बदे गउवों चलल भइया हो
घूसे नाहीं देइब हम भारत में कसइया हो।।
मूसर लेके भउजी चलली झारि के नथुनियां
बेलना लेके काकी चलली बांधि के कछनियां
छोड़ि के दलनियां बाबा सिमवां पर सोटा लेके
दूनों हाथ भांजि भांजि बन गइलें सिपहिया हो
घूसे नाहीं देइब हम भारत में कसइया हो।।
केहू लेके चलल भइया हाथ में सिपावा
नाती पोता लेके चलल हाथ में तीनपाव
केहू रास्ट्रगीत गा के सभके जगावत चले
जागऽ हो भइया लाज रखिहऽ पगड़िया हो
घूसे नाहीं देइब हम भारत में कसइया हो।।
केहू रुपया देई केहू खून देई आपन
एक-एक ले गांवन में सभे वीर बावन
केहू ले तिरंगा चलल गाड़े बदे सिमवां पर
लंगड़ लूल सभे चलल बांधि के कफनियां हो
घूसे नाहीं देबे हम भारत में कसइया हो।।
अबकी तोहार करब हम अइसन धुनाई
सिमवा पर झंकबऽ नाहीं बनि के कसाई
बेतना बा ताकत तोहरा खूब जानत बानी हम
छन-भर में लेई-लेइब दुसमन क धरतिया हो
घूसे नाहीं देबे हम भारत में कसइया हो।।