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म्हारो मन / वासु आचार्य
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ताळ तळाया
जंगल जंगल
हुवणौ चावै-म्हारो मन
सरणाटै री-गूँज गूँज मांय
चावै गूँजणौ
म्हारो मन
बाथ्यां भर भर
मिलणौ चावै
गूंगा पीळा धोरा संग
आ बौरटी
अर खैजड़ी
बणनौ चावै
म्हारो मन
देख चिडकली
पाळ ताळ री
चक चक करणौ चावै मन
नीं ठा जठै सूं-
क्यूं बठै सूं
ऊँचौ उडणौ चावै मन
धरती माथै
घणौ अमूजो
आभो बणनौ चावै मन-