Last modified on 15 मार्च 2015, at 16:37

सियाजू की डलिया खूब सजइयौ / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:37, 15 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सियाजू की डलिया खूब सजइयौ।
हरे बाँस की डलिया मँगइयौ हरदी सें टिकवइयौ।
सियाजू की डलिया...
मौन रये गूजालुचई मैंदा की रूच रूच मोहरें लगवइयौ,
अरे रूच रूच मोहरें लगवइयौ। सिया जू की डलिया
आज सियाजू जा रई सासरें अरे सब हिल मिल जइयौ
सियाजू की डलिया...
मात सुनैना आँचर सँवारे अरे आँखन के पलक रखियौ।
सियाजू की डलिया...
जो कछु गलती होवै इनसें अरे धीरे सें समझइयौ।
सियाजू की डलिया...
डोला पालकी द्वारे पै आ गये अरे मैया छतिया लगइयौ।
सियाजू की डलिया...
हाथ पकड़ डोला में धर दई अरे वीरन कंधा लगइयौ।
सियाजू की डलिया...
जो कोऊ सीता की गावै विदाई अरे मन वांछित फल पइयौ।
सियाजू की डलिया खूब सजइयौ।