बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बखरी तो भली बनवाया हो कउन सिंह
सुरिजन मुंहे का दुआर
ओही व्है के निकरी हैं बेटी को कउन कुंवरि
गोरे बदन कुम्हिलायं
कहा तो मोरी बेटी छत्र तनाई
कहा तो सुरिज अलोप
काहे का मोरे दाऊ छत्र तनइहा
काहे का सुरिज अलोप
आजि कै राति दाऊ तुम्हरे मड़ये तरी
काल्हि विदेशिया के हाथ