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एक अमरहियां एक आमा / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक अमरहियां एक आमा पियरै
एक आमा संवरिन पात
एक आमा है मोरे आजा के द्वारे
ओही तरी उतरी बरात
एक आमा है मोर बबुल के द्वारे
ओही तरी उतरी बरात
सोवत रह्यों मैं माया के कोरवा
भोर भण्उ भिनसार
केखे दुआरे बाजन बाजै केखर होय बिआह
तुहीं बेटी एगल तुम्हीं बेटी गेगल
तुम्हीं बेटी चतुर सुजान
केखे दुआरे बाजन बाजै केखर होय बिआह
सिखै न पायों गुन गिहथैया
तपै न पायों रसोय
सांस ननंद मिलि भइया गरिअइहैं
मोसे सही न जाय
सिख ले बेटी गुन गिहथैया
तपि ले महरी रसोय
सासु ननंद मिलि भइया गरिअइहैं
लै लिहा अंचल पसार
तसुवा मने करा ढोलिया मने करा
सहनइयां के शब्द नेवारि
पंडित विप्र तुम बेद मने करा
मोर धिया रहिहैं कुंवारि
खम्भा उलठि व्है के बोले दुलेरूआ
सुना धन विनती हमार
तसवा न मने करा ढोलया न मने करा
पंडित विप्र तुम बेद सुनावा
अब धिया होई बिआह
सुरिज देउत के सखिया भरत हौं
खेइहों मैं नइया तुम्हार