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मथुरा मा लागी एक बजरिया / बघेली
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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मथुरा मा लागी एक बजरिया
कि मेंहदी आई बिकाय
जइहा देउरवा मेंहदी लैअइहा
रूपियै सेर विकाय
मेंहदी रचि गई कोइली परि गई
देखन वाले विदेश
काह फारि मैं कागद बनाऊं
काहिन कै मसि लेउं
ए जी काही बनाऊं मैं असल कइथवा
हरि जू का पाती लै के जाय
ए जी अचर फारि मैं कागद बनाऊं
नैनेन से मसि लेउजी
ए जी देउरा बनाऊं असल कयथवा
कि हरि जू का पाती लै के जाय