पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोयला बाई बोले
जंगल मऽ कोयल बाई बोले
पीहू रे पीहू करअ् रही।
मण्डवा मऽ लाड़ी बाई बोले
बाबुल रे बाबुल करअ् रही।
ओका बाबुल खऽ देओ रे बुलाय
साँवल वर ढूँढ लाहे।।
कोयला बाई बोले
जंगल मऽ कोयल बाई बोले
पीहू रे पीहू करअ् रही।
मण्डवा मऽ लाड़ी बाई बोले
बाबुल रे बाबुल करअ् रही।
ओका बाबुल खऽ देओ रे बुलाय
साँवल वर ढूँढ लाहे।।