भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कौन सा भेदी नऽ भेद बतायो / पँवारी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:31, 20 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कौन सा भेदी नऽ भेद बतायो
कौन सा नऽ सगुन लिखायो मऽराऽ बाबुल
मऽराऽ बाबुलजी की डेरी बिरानी।।
नौवा सा भेदी नऽ भेद बतायो
ब्रह्मण नऽ सगुन बतायो मऽराऽ बाबुल
मऽराऽ बाबुलजी की डेरी बिरानी।
मर जातो ऊ नौवा, मरऽ जातो बह्मना
काहे मरी लगुन निकाली रे बाबुल
मऽराऽ बाबुल जी की डेरी बिरानी।।
कौन सा भेदी नऽ सगुन लिखायो
कौन सा नऽ लगुन लिखाई रे बाबुल
मऽराऽ भैय्या जी की डेरी बिरानी।।
आब काहे रोवय मऽरोऽ भोरो सो भैय्या
बहिना ते होय ऽ गई परायी।।