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राखी खऽ दो दिन चार / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
राखी खऽ दो दिन चार
बारी बहना खऽ लेनऽ जाहूँ... हिण्डोरना
बाटऽ मऽ आड़ी नन्दी रे... हिण्डोरना
ढीम्मर बुलाहूँ नाव चलाहूँ
बहिन खऽ लेनऽ खऽ जाहूँ... हिण्डोरना
बाटऽ मऽ आड़ो घाटऽ रे... हिण्डोरना
घाट-फोड़या बुलाहूँ घाट फोड़ा हूँ
बहिन खऽ लेनऽ जाहूँ रे... हिण्डोरना
बाटऽ मऽ पड़हे बड़ो परबत रे... हिण्डोरना
परबत खोदाहूँ बाटऽ बनाहूँ
बहिन खऽ लेनऽ जाहूँ रे... हिण्डोरना
बाट मऽ आड़ो जंगल रे... हिण्डोरना
गोंड बुलाहूँ जंगल कटाहूँ
बहिन खऽ लेनऽ जाहूँ रे... हिण्डोरना